बेदी की बात हुई सच, बिन धोनी सब सून
नईदिल्ली।
भारत ने ऑस्ट्रेलिया से 2-1 की बढत के बाद धोनी को अंतिम 2 वनडे के लिए विश्राम दिया गया था। श्रृंखला 2-2 से बराबर थी और बुधवार को निर्णायक मैच खेला गया। भारत के अति प्रयोग का पूरा फायदा उठाकर पांचवें और निर्णायक एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में बुधवार को ऑस्ट्रेलिया ने 35 रन से जीत दर्ज करके 10 साल बाद भारतीय सरजमीं पर वनडे श्रृंखला 3-2 से अपने नाम की, वह भी तब जबकि पहले 2 मैच वह हार गया था।
इस अति प्रयोग के खिलाफ आवाज पूर्व सिप्नर बिशन सिंह बेदी उठा चुके थे। खासकर धोनी को बाहर बिठाने का निर्णय उनके गले नहीं उतर रहा था। बेदी ने कहा था कि वह हैरान थे कि धोनी को विश्राम क्यों दिया गया और मोहाली वनडे में विकेट के पीछे और बल्लेबाजी क्रम में उनकी अनुपस्थिति खली।
धोनी को आधा कप्तान कहते हुए उन्होंने कहा कि वह अब युवा नहीं होने जा रहे हैं और वे पहले जैसे फुर्तीले भी नहीं हैं लेकिन टीम को उनकी जरूरत है। उनकी उपस्थिति से टीम शांत भाव से खेलती है। कप्तान विराट कोहली को भी उनकी जरूरत महसूस होती है और उनके बिना वे असहज नजर आते हैं। यह अच्छा संकेत नहीं है।
बेदी की बात पिछले दो वनडे मैचों में सही साबित हुई। रिषभ पंत ने मोहाली वनडे मैच में विकेट के पीछे काफी निराशाजनक प्रदर्शन किया और कुछ आसान स्टम्पिंग छोड़ी जिसका फायदा उठाकर एश्टन टर्नर ने मैच विजई पारी खेली और भारत के 358 के स्कोर को 13 गेंद शेष रहते ही पार कर लिया। मैच के दौरान कई बार दर्शकों ने धोनी धोनी चिल्लाया भी।
ऐसा लगा कि विकेटकीपिंग की खामियों को रिषभ पंत आखिरी वनडे में बल्लेबाजी से पूरी करेंगे।
नंबर चार पर कई प्रयोग करने वाली भारतीय टीम ने ऋषभ पंत
को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी लेकिन वह पहली परीक्षा में नाकाम रहे। जंपा पर छक्का जड़कर उत्साह जगाने वाले इस विकेटकीपर बल्लेबाज ने ऑफ स्पिनर नाथन लियोन की बाहर की तरफ टर्न होती गेंद पर स्लिप में कैच थमा दिया। वह बल्लेबाजी क्रम में प्रमोशन का फायदा नहीं उठा सके और सिर्फ 16 रन बना सके।
आखिरी दो मैचों के हाल देखे जाए तो यह कहा जा सकता है कि बिशन सिंह बेदी की बातें सच साबित हुई। विराट कोहली बिना महेंद्र सिंह धोनी की अनुपस्थिती में असरदार कप्तान साबित नहीं होते, वह आधे कप्तान रह जाते हैं।