आर्थिक आंकड़ों का असर आज बाजार पर देखने को मिल सकता है


नयी दिल्ली :


कृषि एवं विनिर्माण क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन को आर्थिक वृद्धि दर में कमी का मुख्य कारक बताया गया है. वहीं, अप्रैल में आठ बुनियादी क्षेत्र के उद्योगों की वृद्धि दर भी घटकर 2.6 प्रतिशत के स्तर पर आ गयी. हालांकि, वित्त वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटे के लक्ष्य के अनुरूप रहने से सरकार को थोड़ी राहत मिली है.


संशोधित बजट अनुमान में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.4 प्रतिशत पर सीमित रखने का लक्ष्य रखा गया था. बाजार विश्लेषकों का कहना है कि इन आर्थिक आंकड़ों का असर सोमवार को बाजार पर देखने को मिल सकता है, लेकिन जीडीपी की सुस्त पड़ती रफ्तार से इस बात की संभावना बढ़ गयी है कि केंद्रीय बैंक छह जून को ब्याज दरों में कटौती करे. निवेशक इसका स्वागत करेंगे.
शेयरखान बाई बीएनपी परिबा के प्रमुख सलाहकार हेमांग जानी ने कहा, 'वैश्विक मोर्चे पर अमेरिका-चीन के बीच व्यापार युद्ध और तेल के दाम में इजाफे से बाजार की आगे की दिशा तय होगी. हम शेयर बाजार को लेकर अब भी आशान्वित हैं.'
विशेषज्ञों का मानना है कि नयी सरकार में मंत्रिमंडल के बंटवारे के बाद अब ध्यान मुख्य आर्थिक सुधारों और नीतियों पर रहेगा. एपिक रिसर्च के सीईओ मुस्तफा नदीम ने कहा, 'वित्त मंत्रालय की अगुवाई अब निर्मला सीतारमण कर रही हैं और उनसे कई उम्मीदें हैं. सबसे पहले नकदी का मुद्दा आता है, उसके बाद बैंकों के पुनर्पूंजीकरण और अर्थव्यवस्था में मांग में सुधार की बात आती है.'


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