औद्यानिक खेती एवं खाद्य प्रसंस्करण का प्रशिक्षण देकर प्रदेश सरकार बढ़ा रही है आय के साधन
गोण्डा।
उत्तर प्रदेश सरकार किसानों की कृषि उत्पादन में सहायता के साथ-साथ उनकी आय दोगुना कर उन्हें आर्थिक दृष्टि से मजबूत बनाकर देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से हर स्तर पर कार्य कर रही है। इसी दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार ने उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के तहत प्रदेश में फल, शाकभाजी, आलू, मसाला, पुष्प आदि औद्यानिक फसलों के उत्पादन, विकास, फल-शाकभाजी संरक्षण के साथ-साथ मधुमक्खी पालन, खाद्य प्रसंस्करण कुकरी, बेकरी एवं कन्फेन्शरी आदि विधाओं में प्रशिक्षण औषधीय एवं सुगन्ध फसलों के खेती का विकास तथा पान की खेती को प्रोत्साहन तथा अनुपुरक उद्यम के रूप में बागवानी में मशरूम उत्पादन के सुनियोजित विकास के लिए विभिन्न कार्यक्रम संचालित कर किसानों की आय बढ़ा रही है।
प्रदेश सरकार ने किसानों द्वारा परम्परागत फसल के उत्पादन के अतिरिक्त उनकी आय में वृद्धि हेतु बागवानी फसलों, शाक-भाजी मसालों, औषधीय पौधों आदि के साथ खाद्य प्रसंस्करण का प्रशिक्षण दिलाकर विभिन्न खाद्य पदार्थों के उत्पादन पर जोर दे रही है। प्रदेश सरकार के सकारात्मक प्रयासों के कारण ही बागवानी फसलों के उत्पादन में उत्तर प्रदेश का प्रमुख स्थान है। आम, अमरूद, आंवला, केला, नींबू वर्गीय फल, कटहल, बेर, खरबूज़ा, बेल, तरबूज,़ सभी मौसमों में उत्पादित शाकभाजी, मिर्च, धनिया, लहसुन, मेथी, हल्दी आदि मसाले, सगन्ध पौधों में मेंथा तथा औषधीय पौधों में तुलसी, सतावर, अश्वगंधा एवं सर्पगन्धा आदि के संहत क्षेत्र हैं जिनकी देश में स्थापित पहचान है। प्रदेश में टिश्यूकल्चर तकनीक से उत्पादित केला की खेती को प्रोत्साहित करने से ईकाई क्षेत्र से अधिक लाभ अर्जित किया जा रहा है। देश का लगभग 30 प्रतिशत आलू का उत्पादन उत्तर प्रदेश में किया जाता है।
़प्रदेश के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के तहत विभिन्न प्रकार के कलमी फलदार, बीजू फलदार एवं शोभाकार पौधे, आलू एवं शाकभाजी की नवीनतम प्रजाति के प्रमाणित बीज राजकीय उत्पादन इकाईयों पर उत्पादित कर बिना लाभ-हानि के लागत मूल्य पर किसानों को सुलभ कराया जा रहा है। औद्यानिक फसलों की खेती, नये बागों का ले-आउट कराना, कीट व्याधि से बचाव के लिए निःशुल्क परामर्शी सेवायें, पुराने अनुत्पादक आम, आंवला, अमरूद नींबू के पौधों का जीर्णोद्धार कराने के कार्य के साथ ही साथ संकर शाकभाजी की प्रजातियों का प्रसार एवं क्षेत्रफल का विस्तार कर सरकार किसानों की आय के साधन बढ़ा रही है। प्रदेश सरकार मधुमक्खी पालन, मशरूम तथा पान की खेती के लिए नवीनतम तकनीको को विकसित कर लाभार्थियों को प्रशिक्षण सुविधा उद्यान एवं खाद्य प्रंसंस्करण विभाग के विभागीय केन्द्रों/उपकेन्द्रों पर उपलब्ध कराई जा रही है। विशेष सघन फल के क्षेत्रों में फल पट्टी की घोषणा एवं उनका सुनियोजित विकास कर उत्पादकता में बढोत्तरी की जा रही है।
प्रदेश सरकार द्वारा मधुमक्खी पालन, खाद्य प्रसंस्करण कुकरी, बेकरी एवं कन्फेक्शनरी आदि विधाओं में प्रशिक्षण, औषधीय एवं सुगन्ध फसलों के खेती का विकास करने के उद्देश्य से राजकीय खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी संस्थान, लखनऊ में 02 वर्षीय एम0एस0सी (फूड प्रोसेसिंग) पाठ्यक्रम का संचालन तथा राजकीय खाद्य विज्ञान प्रशिक्षण केन्द्र पर अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक प्रशिक्षण कराते हुए लाभार्थियों को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। प्राथमिक औद्यानिक सहकारी समितियों का निबन्धन कर उनके माध्यम से बागवानी फसलों के फसल को तोड़ने के उपरान्त उनके प्रबन्धन एवं विपणन की व्यवस्था की जाती है। इसके अतिरिक्त राजकीय टिश्यूकल्चर प्रयोगशाला अलीगंज, लखनऊ में टिश्यूकल्चर केला के पौधों का उत्पादन एवं केला उत्पादकों को पौधों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही हैै। जिससे प्रदेश में केले के उत्पादन और किसानों की आय में वृद्धि हुयी है। प्रदेश सरकार ने औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केन्द्र- सहारनपुर, बस्ती, लखनऊ, प्रयागराज तथा झांसी एवं पान शोध केन्द्र-महोबा के द्वारा क्षेत्रीय कृषकों को बागवानी से सम्बन्धित विभिन्न विधाओं में प्रशिक्षण की सुविधा दी जा रही है।
प्रदेश सरकार बागवानी एवं खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के समेकित विकास हेतु प्रदेश में एकीकृत बागवानी विकास मिशन, अनुसूचित जाति/जनजाति के कृषकों के लिए औद्यानिक विकास, राष्ट्रीय खाद्य प्रसंस्करण मिशन आदि महत्वपूर्ण कार्यक्रम प्रभावी रूप से संचालित करते हुये कृषकों को विभिन्न सुविधायें देते हुये उनके उत्पादन का उचित संरक्षण प्रबन्धन एवं सहयोग के साथ उनकी आय में वृद्धि कर रही है।