सोनभद्र प्रकरण में दोषियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर एसआईटी करेगी जांच


सोनभद्र प्रकरण में तीन अधिकारियों को निलम्बित कर विभागीय कार्रवाई के निर्देश
सोनभद्र के डीएम-एसपी के विरुद्ध अनुशासनिक जांच के आदेश


लखनऊ।


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को अपने सरकारी आवास पर आयोजित प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए बताया कि विगत 17 जुलाई, 2019 को जनपद सोनभद्र की तहसील तथा थाना घोरावल स्थित ग्राम उम्भा में घटित जमीनी विवाद की घटना में आज तीन अधिकारियों को निलम्बित कर दिया गया है। इनमें सम्बन्धित क्षेत्राधिकारी राहुल मिश्र, एआर कोऑपरेटिव विजय कुमार अग्रवाल तथा एआरओ सोनभद्र राजकुमार शामिल हैं। इन सबके खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे पूर्व उपजिलाधिकारी विजय प्रकाश तिवारी, क्षेत्राधिकारी अभिषेक कुमार सिंह, इंस्पेक्टर अरविन्द मिश्र, एसआई लल्लन यादव तथा कांस्टेबिल सत्यजीत यादव को निलम्बित किया जा चुका है। इन सबके खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने बताया कि कुल आठ राजपत्रित अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जा रही है, जिनमें जिलाधिकारी तथा पुलिस अधीक्षक के अलावा एक एएसपी, तीन क्षेत्राधिकारी, एक एआर कोऑपरेटिव तथा एक एआरओ (राजस्व विभाग) शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि सोनभद्र प्रकरण में कुल 07 अराजपत्रित पुलिस कर्मियों के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई की जा रही है। इनमें 03 इन्सपेक्टर, 01 एसआई, 02 हेड कॉन्स्टेबिल तथा 01 कॉन्सटेबिल शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकरण से जुड़े 28 व्यक्तियों के खिलाफ आज एफआईआर दर्ज की गई है। 12 तत्कालीन सदस्य यदि जीवित हैं, तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनपद सोनभद्र के इस प्रकरण की भांति जनपद सोनभद्र एवं मीरजापुर की समस्त कृषि सहकारी समितियों के राजस्व अभिलेखों के साथ मिलान कर जांच कराई जाएगी। इसके लिए राजस्व, वन व सहकारिता विभाग के अधिकारियों की एक समिति बनाई गई है, जो उन त्रुटियों को परिलक्षित करेगी तथा जहां-जहां गलत अभिलेखों के आधार पर सरकारी भूमि हड़पी गई है, वहां इस समिति की संस्कृति के आधार पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस समिति की अध्यक्षता अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार करेंगी तथा इसमें प्रमुख सचिव श्रम सुरेश चन्द्रा, सीसीएफ रमेश पाण्डेय, देवरिया के क्षेत्रीय वनाधिकारी प्रमोद कुमार गुप्ता, अपर निबन्धक सहकारिता राम प्रकाश सिंह तथा उप निबन्धक सहकारिता राजेश कुमार कुलश्रेष्ठ शामिल होंगे। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि सोनभद्र प्रकरण में भूमि का विवाद 10 अक्टूबर, 1952 से शुरू होता है, जब इस तिथि को आदर्श कृषि सहकारी समिति, उम्भा/सपही का गठन बिहार के वरिष्ठ काँग्रेसी नेता तथा उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल चन्देश्वर प्रसाद नारायण सिंह के चाचा महेश्वर प्रसाद नारायण द्वारा किया गया और ग्राम सभा की भूमि को इसमें शामिल किया गया। महेश्वर प्रसाद कांग्रेस पार्टी के बिहार से राज्यसभा के सांसद तथा एमएलसी भी थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 1989 में इसी सोसाइटी की भूमि का व्यक्तिगत नामों में अन्तरण किया गया और फिर इन लोगों द्वारा इस भूमि को बेचा जाने लगा। राज्य सरकार ने विवादित भूमि के सम्बन्ध में समय-समय पर दाखिल-खारिज एवं नामांतरण आदेशों की वैधानिकता की विस्तृत छानबीन और जांच के लिए अपर मुख्य सचिव राजस्व, प्रमुख सचिव श्रम तथा आयुक्त विन्ध्याचल मण्डल की 03 सदस्यीय समिति गठित की और इसके द्वारा जांच करवाई। जांच की रिपोर्ट शासन को कल 03 अगस्त, 2019 को प्राप्त हो गई है और इसका विस्तृत परीक्षण मुख्य सचिव के स्तर से किया जा चुका है। 
जांच समिति द्वारा यह पाया गया कि 10 अक्टूबर, 1952 को गठित आदर्श कृषि सहकारी समिति, उम्भा/सपही के मुख्य प्रवर्तक महेश्वर प्रसाद नारायण सिंह तथा प्रबन्धक दुर्गा प्रसाद राय सहित कुल 12 सदस्य थे। वर्ष 1989 में इसी सोसाइटी की भूमि का व्यक्तिगत नामों में अन्तरण किया गया था। 17 जुलाई, 2019 की घटना का मुख्य अभियुक्त ग्राम प्रधान यज्ञदत्त समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक रमेश चन्द्र दुबे का करीबी रहा है। दबंग प्रवृत्ति के इस व्यक्ति ने पिछले चुनाव में सपा का प्रचार किया था। ग्राम प्रधान के भाई को वर्ष 2017 से पूर्व, सड़क निर्माण का ठेका भी मिला था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजीकरण के समय समिति द्वारा ग्राम उम्भा में 727 बीघा तथा ग्राम सपही में 725 बीघा जमीन समिति के सदस्यों की दर्शायी गयी थी, किन्तु इस सम्बन्ध में कोई शासकीय अभिलेख प्रस्तुत नहीं किये गये थे। केवल गाटा संख्या एवं रकबे की हस्तलिखित सूची प्रस्तुत की गई थी।
समिति द्वारा दर्शायी गई जमीनों के सम्बन्ध में आधार वर्ष फसली सन् 1359 (सन् 1952 ई0) की खतौनी से मिलान करने पर समिति ने यह पाया कि ग्राम उम्भा की 641 बीघा तथा ग्राम सपही की 664 बीघा कुल 1305 बीघा बंजर खाते की भूमि है, जो ग्रामसभा की होती है।
रॉबर्ट्सगंज के तत्कालीन तहसीलदार कृष्ण मालवीय द्वारा 17 दिसम्बर, 1955 को पारित आदेश के अनुसार ग्राम उम्भा की बंजर खाते की कुल 258 गाटा रकबा 641 बीघा तथा ग्राम सपही की 123 गाटा रकबा 693 बीघा 03 बिस्वा जमीन आदर्श कॉपरेटिव फार्मिंग सोसाइटी लि0 उम्भा/सपही के नाम दर्ज करने के आदेश दिए गए थे। तद्नुसार इस सोसाइटी का नाम वर्ग-2 सीरदार के रूप में खतौनी में दर्ज किया गया।
तहसीलदार, रॉबर्ट्सगंज के उक्त आदेश की पत्रावली उपलब्ध नहीं हो पायी, केवल तहसीलदार द्वारा पारित आदेश की प्रति रजिस्टर नम्बर आर0-6 पर अंकित है। तहसीलदार का यह आदेश पूरी तरह त्रुटिपूर्ण व उसके अधिकार सीमा से परे था, क्योंकि बंजर खाते की ग्रामसभा की भूमि, किसी के नाम चाहे वह समिति ही हो, दर्ज करने का अधिकार तहसीलदार को नहीं था। किस धारा व अधिकार के तहत यह आदेश पारित किया गया है तथा इसके पक्षकार कौन हैं, इसका उल्लेख आदेश में नहीं है। वर्ष 1985-90 के बीच ग्राम उम्भा के 50 गाटे रकबा 524 बीघा 04 बिस्वा तथा ग्राम सपही के 57 गाटा रकबा 435 बीघा 15 बिस्वा जमीन पर उक्त सहकारी समिति को संक्रमणीय अधिकार प्रदान किये गये। (असंक्रमणीय के रूप में 10 वर्ष पूर्ण होने के पश्चात संक्रमणीय अधिकार स्वतः प्राप्त होने के आधार पर)
मुख्यमंत्री ने बताया कि आशा मिश्रा पत्नी प्रभात कुमार मिश्रा आईएएस तथा विनीता शर्मा उर्फ किरन कुमारी पत्नी भानु प्रताप शर्मा आईएएस द्वारा धारा 33/39 लैण्ड रेवेन्यु एक्ट, 1901 में दाखिल दो मुकदमों में एसडीओ रॉबर्ट्सगंज अशोक कुमार श्रीवास्तव द्वारा 06 सितम्बर, 1989 को आदेश पारित किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस आदेश के द्वारा ग्राम उम्भा तथा सपही की तथाकथित रूप से समिति के नाम दर्ज जमीनों में से लगभग 18-18 हेक्टेयर भूमि आशा मिश्रा तथा विनीता शर्मा के नाम दर्ज करने के आदेश पारित किए गए। तत्कालीन एसडीओ द्वारा परित यह आदेश त्रुटिपूर्ण एवं अधिकारातीत है, क्योंकि धारा 33/39 मात्र त्रुटियों एवं ओमिशन्स को ठीक करने के लिए है। इस धारा के अन्तर्गत स्वत्व निर्धारण का आदेश पारित नहीं किया जा सकता।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विनीता शर्मा द्वारा प्रधान पक्ष के लोगों को कुल 18.211 हेक्टेयर तथा आशा मिश्रा द्वारा प्रधान पक्ष के ही लोगों को कुल 18.209 हेक्टेयर जमीन दिनांक 17 अक्टूबर, 2017 को विक्रय की गयी। प्रधान पक्ष के लोगों द्वारा वर्ष 2018 में राजस्व विभाग एवं पुलिस की मदद से बैनामे की भूमि पर कब्जा करने का प्रयास किया गया, किन्तु वे सफल नहीं हुए।
मुख्यमंत्री ने बताया कि जांच समिति को स्थलीय निरीक्षण के दौरान यह ज्ञात हुआ कि आदर्श कृषि सहकारी समिति की भूमि पर ग्राम उम्भा/सपही के लगभग 140 परिवार तीन पीढ़ियों से खेती करते चले आ रहे हैं। इसके लिए वे समिति के प्रतिनिधि नीरज राय को प्रतिवर्ष आपसी सहमति से निर्धारित धनराशि का भुगतान करते थे। 17 अक्टूबर, 2017 को प्रधान पक्ष के लोगों को बैनामा किये जाने के पश्चात धनराशि का भुगतान करना बन्द कर दिया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सहायक अभिलेख अधिकारी सोनभद्र राजकुमार द्वारा बैनामे के आधार पर ग्रामीणों की गम्भीर आपत्तियों एवं विधिक व्यवस्था के विपरीत जाकर बिना कोई जांच किए 27 फरवरी, 2019 को नामांतरण आदेश पारित कर दिए गए। जिलाधिकारी सोनभद्र के समक्ष ग्रामीणों द्वारा नामांतरण आदेशों के विरुद्ध 11 अपीलें दायर की गईं। इन अपीलों को मात्र तकनीकी आधार पर 06 जुलाई, 2019 को जिलाधिकारी, सोनभद्र द्वारा खारिज कर दिया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यद्यपि जिलाधिकारी न्यायालय में सहायक अभिलेख अधिकारी, सोनभद्र द्वारा नामांतरण आदेश 27 फरवरी, 2019 के विरुद्ध प्रकाश नारायण सिंह पुत्र स्व0 चन्द्र मौलेश्वर प्रसाद सिंह, ग्राम शहजादपुर, थाना टाउन हाजीपुर, जिला वैशाली, बिहार द्वारा दो अपीलें दाखिल की गई हैं, जो अभी निस्तारण हेतु लम्बित हैं। अगली सुनवाई की तिथि 09 अगस्त, 2019 निर्धारित है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस प्रशासन द्वारा ग्रामीणों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर गुण्डा एक्ट में भी कार्रवाई की गई, किन्तु प्रधान पक्ष के लोगों के विरुद्ध कोई निरोधात्मक कार्रवाई नहीं गई, जिसके परिणामस्वरूप प्रधान पक्ष के लोगों का मनोबल बढ़ा और यह घटना घटित हुई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके अतिरिक्त, सोनभद्र की घटना में दोनों पक्षों के बीच दर्ज आपराधिक मुदकमों तथा निरोधात्मक कार्रवाई में प्रथम दृष्टया पक्षपात पूर्ण कार्य की जांच अपर पुलिस महानिदेशक, वाराणसी जोन से करायी गयी। इन दोनों समितियों के आधार पर जिलाधिकारी, सोनभद्र अंकित कुमार अग्रवाल के विरुद्ध अनुशासनिक जांच के आदेश देते हुए इन्हें नियुक्ति विभाग से सम्बद्ध करने का निर्णय लिया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस अधीक्षक सोनभद्र सलमान जफर ताज पाटिल के विरुद्ध अनुशासनिक जांच के आदेश दे दिए गए हैं। इन्हें डीजीपी मुख्यालय से सम्बद्ध किया गया है। 17 दिसम्बर, 1955 को त्रुटिपूर्ण आदेश पारित करने वाले तत्कालीन तहसीलदार रॉबर्ट्सगंज कृष्ण मालवीय के जीवित होने की सम्भावना क्षीण है। यदि वे जीवित भी होंगे तो, इस स्थिति में नहीं होंगे कि उनके विरुद्ध मुकदमा कायम कराया जाए। इसलिए समिति द्वारा उनके विरुद्ध किसी कार्रवाई की संस्तुति नहीं की गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 1989 के तत्कालीन परगना अधिकारी रॉबर्ट्संगज अशोक कुमार श्रीवास्तव व तहसीलदार जय चन्द्र सिंह यदि जीवित होंगे, तो उनके विरुद्ध आईपीसी की सुसंगत धाराओं में एफआईआर दर्ज कराकर कार्रवाई की जाएगी। सहायक अभिलेख अधिकारी सोनभद्र राजकुमार के विरुद्ध आईपीसी की सुसंगत धाराओं में एफ0आई0आर0 दर्ज कराकर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, इन्हें तत्काल निलम्बित करते हुए इनके विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई भी की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि तत्कालीन उप जिलाधिकारी घोरावल विजय प्रकाश तिवारी के विरुद्ध नियुक्ति विभाग द्वारा कार्रवाई की जा रही है तथा इनके विरुद्ध भी एफआईआर दर्ज करने के भी निर्देश दिये गये हैं। क्षेत्राधिकारी घोरावल अभिषेक सिंह, उपनिरीक्षक लल्लन प्रसाद यादव, निरीक्षक अरविन्द कुमार मिश्र तथा बीट आरक्षी सत्यजीत यादव के विरुद्ध गृह विभाग द्वारा अनुशासनिक जांच प्रारम्भ कर दी गई है। क्षेत्राधिकारी घोरावल अभिषेक सिंह को पीड़ित पक्ष पर दबाव बनाने के लिए उन पर गुण्डा एक्ट व आपराधिक वाद दर्ज करते हुए उनके विरुद्ध भी एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि निरीक्षक थाना घोरावल अरविन्द कुमार मिश्र, उपनिरीक्षक हल्का थाना घोरावल लल्लन प्रसाद यादव तथा बीट आरक्षी सत्यजीत यादव के विरुद्ध अपराधियों का साथ देने, पीड़ित पक्ष के विरुद्ध अनावश्यक पुलिस कार्रवाई करने, घटना की पूर्व जानकारी होने तथा ग्रामीणों द्वारा घटना की सूचना दिए जाने के बावजूद जानबूझकर घटना स्थल पर समय से न पहुंचने के लिए आईपीसी की सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत कर कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोर्ट के समुचित आदेश के बिना नामांतरण आदेश के पूर्व, विवादित भूमि को खाली कराने के लिए प्रधान पक्ष से 1.42 लाख रुपए जमा कराने के लिए तत्कालीन अपर पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार दीक्षित के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई संस्थित करने व एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गये हैं। 
इसके अलावा, सहायक निबन्धक कृषि सहकारी समितियां, वाराणसी विजय कुमार अग्रवाल को पदीय दायित्वों का निर्वहन न करने के कारण निलम्बित करने तथा बिना जांच किए व बिना सुसंगत अभिलेख प्राप्त किये कार्रवाई करने के कारण इनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई संस्थित करने व एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं। 
तथाकथित रूप से तत्कालीन तहसीलदार, रॉबर्ट्सगंज द्वारा पारित आदेश 17 दिसम्बर, 1955 से आदर्श कृषि सहकारी समिति के नाम ग्राम उम्भा की 641 बीघा तथा ग्राम सपही की 693 बीघा, 03 बिस्वा दर्ज की गई बंजर/परती खाते की भूमि को पुनः 1359 फसली (आधार खतौनी) की खतौनी के अनुसार ग्रामसभा के खाते में दर्ज करने हेतु जिलाधिकारी सोनभद्र नियमानुसार कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि तत्कालीन तहसीलदार रॉबर्ट्सगंज द्वारा पारित आदेश दिनांक 17 दिसम्बर, 1955 को त्रुटिपूर्ण होने के कारण पश्चातवर्ती समस्त कार्यवाहियां अविधिक घोषित कर दी जाएंगी तथा समस्त भूमि ग्रामसभा में नियमानुसार निर्धारित प्रक्रिया के अन्तर्गत दर्ज होने के पश्चात ग्रामीणों को नियमानुसार कृषि कार्य हेतु पट्टे पर आवंटित की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामसभा की भूमि समिति के नाम फर्जी रूप से दर्ज कराने के लिए आदर्श कृषि सहकारी समिति, उम्भा के प्राथमिक 12 सदस्यों में से जो जीवित हों, उनके विरुद्ध ग्रामसभा की भूमि हड़पने के लिए आई0पी0सी0 की सुसंगत धाराओं के अन्तर्गत प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। इसके अतिरिक्त तत्कालीन उप जिलाधिकारी घोरावल मणि कण्डन तथा तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक घोरावल आशीष कुमार सिंह, शिव कुमार मिश्र तथा तत्कालीन क्षेत्राधिकारी विवेकानन्द तिवारी एवं राहुल मिश्रा के विरुद्ध भी एफ0आई0आर0 दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 1989 में सोसाइटी की भूमि जो मूलतः ग्रामसभा की थी, अपने नाम दर्ज कराने के लिए आशा मिश्रा पत्नी प्रभात कुमार मिश्रा आई0ए0एस0 तथा श्रीमती विनीता शर्मा उर्फ किरन कुमारी पत्नी श्री भानु प्रताप शर्मा आई0ए0एस0 के विरुद्ध आई0पी0सी0 की सुसंगत धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।
इसके अतिरिक्त क्षेत्राधिकारी विवेकानन्द तिवारी, अभिषेक कुमार सिंह, राहुल मिश्रा तथा निरीक्षक मूल चन्द्र चैरसिया, निरीक्षक आशीष कुमार सिंह, निरीक्षक शिवकुमार मिश्रा, उप निरीक्षक पदमकान्त तिवारी, मुख्य आरक्षी सुधाकर यादव, मुख्य आरक्षी कन्हैया यादव व आरक्षी प्रमोद प्रताप के विरुद्ध पक्षपात पूर्ण निरोधात्मक कार्रवाई करने तथा निष्पक्षता से विवेचना न करने के लिए विभागीय कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सोनभद्र प्रकरण में दोषियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर इस समस्त मामले की जांच एसआईटी द्वारा की जाएगी। एसआईटी की अध्यक्षता डीआईजी एसआईटी जे0 रवीन्द्र गौड़ करेंगे एवं उक्त दल में अपर पुलिस अधीक्षक श्रीमती अमृता मिश्रा एवं तीन पुलिस इंस्पेक्टर भी साथ में विवेचना करेंगे। एसआईटी के कार्य का पर्यवेक्षण डीजी एसआईटी आरपी सिंह करेंगे।


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