अमिताभ ठाकुर जनहित याचिका दायर करने के दोषी नहीं
लखनऊ।
आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर के खिलाफ 13 जुलाई 2015 को शुरू की गयी विभागीय जाँच में जाँच अधिकारी डीजी नागरिक सुरक्षा जेएल त्रिपाठी ने 302 पृष्ठों की एक विस्तृत जाँच आख्या प्रस्तुत की, जिसमे उन्होंने अमिताभ को 16 आरोपों में 15 आरोप में दोषी नहीं पाया।
यह जाँच 13 जुलाई 2015 को शुरू की गयी थी, जिसमे जाँच अधिकारी ने 26 जून 2019 को राज्य सरकार को जाँच आख्या भेजी। राज्य सरकार द्वारा सितम्बर 2019 में इस जाँच आख्या को स्वीकार करते हुए 18 अक्टूबर 2019 को अमिताभ को वार्षिक संपत्ति विवरण विलंब से देने तथा उसके प्रस्तुतीकरण में भ्रामक एवं त्रुटिपूर्ण सूचना देने का दोषी बताते हुए कारण बताओ नोटिस निर्गत किया।
जाँच में अन्य आरोपों के साथ जाँच अधिकारी श्री त्रिपाठी ने अमिताभ को बिना अनुमति जनहित याचिका करने का दोषी नहीं पाया। अपनी आख्या में श्री त्रिपाठी ने कहा कि यद्यपि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अमिताभ द्वारा जनहित याचिकाएं दायर करने की आलोचना की थी किन्तु अभिलेखों से स्पष्ट है कि वर्तमान समय में आईपीएस अफसरों द्वारा जनहित याचिका करने में कोई प्रतिबन्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि जनहित याचिका दायर करने के संबंध में स्पष्ट नियमों के अभाव में अमिताभ को इसके लिए दण्डित करना उचित नहीं होगा।
राज्य सरकार ने जनहित याचिका सहित जाँच अधिकारी द्वारा प्रस्तुत सभी संस्तुतियों को स्वीकार कर लिया है।