नियम-कानून की धज्जियाँ उड़ाने वालों पर कसी प्रशासनिक लगाम
कल भी गलत था और आज भी गलत है बकरी मंडी का संचालन!
कभी प्रभात कुमार ने डाला था हाथ, खानी पड़ी थी मुहकी
दबंग संचालकों को आँजनेय की कूटनीति ने कानूनी तौर पर किया था कमजोर
मौजूदा प्रशासन पर स्वयं को साबित करने की है बड़ी चुनौती
फतेहपुर।
नियम-कानून और राजस्व की बात करे तो बकरी मंडी का संचालन कल भी गलत था और आज तो सर्वथा गलत ढंग से हो ही रहा है! जो काम तत्कालीन डीएम डा० प्रभात कुमार आँख दिखाकर नहीं कर पाये थे और फिर पी॰ गुरु प्रसाद के प्रयास अपनो के कारण निष्प्रभावी रहे, वह काम पूर्व डीएम आँजनेय कुमार सिंह ने अपनी कूटनीति से कर दिखाया था। शनिवार को हाईवे पर संचालित “बकरी मंडी” के खिलाफ जो कार्यवाई हुई उससे पहले की तमाम नाकामयाबियों पर फिलहाल पर्दा अवश्य पड़ गया है। अब मौजूदा प्रशासन पर इस मद में अपने प्रभाव को साबित करने का अतिरिक्त दबाव भी होगा! देखना यह होगा कि जिस कार्यवाई को लेकर आज वह स्वतः अपनी पीठ थपथपा रहा है, उसके भविष्य का हश्र क्या होता है।
उल्लेखनीय है कि तकरीबन चार दशक तक संविधान के अनुच्छेद 21 का खुलेतौर पर उल्लंघन करते हुए शहर के बाकरगंज इलाके में बकरी बाजार का संचालन होता रहा। इस बाजार को वहाँ से हटवाने में तत्कालीन डीएम डा० प्रभात कुमार और फिर पी॰ गुरु प्रसाद के पसीने छूट चुके हैं किन्तु जिन कानूनी दस्तावेजो का आधार लेकर संचालक गुलाम जाफर की बादशाहत इस मंडी के संचालन को लेकर कायम रही उसकी वास्तविक रूप से हवा तो तभी निकल गई थी जब पूर्व डीएम आँजनेय कुमार सिंह की कूटनीतिक चालों में फँसकर मंडी संचालन का स्थान बदला!
सूत्र बताते है कि हाईकोर्ट के जिन आदेशों के दम पर बकरी मंडी संचालक “अपनी मूँछों पर ताव” देते थे, वे बेदम उसी दिन हो गये थे जब गुलाम जाफर अपनी मंडी को बाकरगंज से नऊवाँबाग लेकर आ गये थे। सर्वोच्च न्यायालय के 26 जून 2011 के एक आदेश पर गौर करे तो हाईवे से कम से कम तीन सौ मीटर की दूरी तक किसी भी प्रकार की बाजार नहीं लगाई जा सकती हैं! क्योंकि मंडी संचालक का धनबल इतना प्रभावी रहा है कि उनके द्वारा नियम-कायदों की कभी भी परवाह ही नहीं की गई! पिछले लगभग एक वर्ष से नऊवाँबाग इलाके में नेशनल हाईवे अथारिटी के कुछ जिम्मेदारो की नासमझी एवं अदूरदर्शिता के चलते हाईवे की व्यवस्था को मुँह चिढ़ाते हुए शुक्रवार की शाम से रविवार की दोपहर तक इस मंडी में बकरी-बकरा, भेड़ आदि को लेकर आने-जाने वाले छोटे-बडे वाहनो (लोडर आदि) से जाम की बड़ी समस्या बनती रही है। इस दरमियान अकेले इस मंडी के कारण हाईवे पर एक सैंकड़ा से अधिक दुर्घटनाए हुई, जिससे एक तरफ एनएच-2 पर सुरक्षित सफर के सरकारी दाँवों को झटका लगा तो दूसरी तरफ सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों की धज्जियाँ उड़ी!
पूर्व डीएम आँजनेय कुमार सिंह ने बकरी बाजार को बाकरगंज से हटवाकर अपना काम तो कर दिया था, किन्तु मौजूदा प्रशासन ने पिछले लगभग एक सप्ताह के दौरान पहले मंडी संचालक समेत कई ज्ञात व अज्ञात लोगों के विरुद्ध पुलिस मुजहमत आदि धाराओं से सम्बन्धित मुकदमा दर्ज करने के बाद शनिवार की सुबह जिस दिलेरी से कार्यवाई को अंजाम दिया, उससे यह तो तय हो गया है कि मौजूदा प्रशासन के समक्ष गुलाम जाफर एण्ड कम्पनी का धनबल व हेकड़ी चलने वाली नहीं है। यहाँ पर देखना यह होगा कि जिस दिलेरी का प्रशासन ने कल परिचय दिया है, यह आगे कितना प्रभाव छोड़ पाती है, क्योंकि गुलाम जाफर के गुर्गों को शहर में घूम-घूमकर यह कहते हुये सुना गया है कि प्रदेश में भाजपा की सरकार हुई तो क्या हुआ, आज भी ऊपर तक सेटिंग पहले जैसी ही है, बस बात हो रही है, एक फोन में सब राइट टाइम हो जायेंगे! बताते चले कि गुर्गे जिस सेटिंग की बात कह रहे है, इसी सेटिंग के चलते पूर्व डीएम डा० प्रभात कुमार और फिर पी॰ गुरु प्रसाद को नीचा देखना पड़ा था! यह अलग बात है कि तब सरकार भाजपा की नहीं थी! कल की घटना के बाद मंडी संचालक व उनके खास समर्थको ने पुराना राग अलापा और इस सरकार में व्यापारी उत्पीड़न का आरोप मढ़ा। साथ ही कुछ दूसरे तरीकों से दबाव बनाने की कवायद भी की किन्तु फिलहाल प्रशासन हाईवे किनारे बकरी मंडी चलने देने के मूड में नहीं है और नामजद एवं अज्ञात लोगों की गिरफ्तारी का ताना-बाना बुना जा रहा है!
दूसरी ओर हाईवे (नऊवाँबाग) से गुजरने वाले लोगों ने आज इस मंडी के कारण लगने वाले जाम से निजात मिलने पर प्रशासनिक कार्यवाई की जमकर सराहना की तथा आगे भी ऐसी ही कड़ाई की अपेक्षा की। वही तमाम लोगों ने अब बाकरगंज की बैलाही (मवेशी बाजार) बाजार पर भी नजरें इनायत करने की प्रशासन से माँग की हैं। ज्ञातव्य रहे कि पूर्व में नऊवाँबाग की बकरी बाजार से हाईवे की तार-तार होती व्यवस्था से सम्बंधित खबरें प्रकाशित हुयी थी, जिस पर शासन स्तर से स्थानीय प्रशासन से वस्तुस्थिति की जानकारी भी ली गई थी।