पुलिस अधीक्षक व जांच से जुड़े पुलिस अधिकारी हाईकोर्ट में तलब
हाईकोर्ट के डबल बेंच में आगामी चार नवम्बर को होगी सुनवाई
पुलिस अभिरक्षा में हुई अधिवक्ता पिटाई मामले में चार्जशीट पर उठा सवाल
अधिवक्ता ने सीबीआई जांच की मांग को लेकर दाखिल की है याचिका
सुलतानपुर।
पुलिस अभिरक्षा में हुई वकील की पिटाई मामले में तत्कालीन एसपी व अन्य आरोपियों को क्लीन चिट देकर शेष अन्य के खिलाफ हल्की धाराओं में चार्जशीट दाखिल कर दी गई। साथ ही मानवाधिकार आयोग की जांच रिपोर्ट एवं विवेचना से जुड़े सही तथ्य को दरकिनार कर तफ्तीश में पक्षपात का भी आरोप लगा है। अधिवक्ता की तरफ से हाईकोर्ट में सीबीआई से प्रकरण की तफ्तीश कराने को लेकर याचिका दाखिल की गयी है। जिसके क्रम में हाईकोर्ट ने आगामी चार नवम्बर के लिए पुलिस अधीक्षक एवं विवेचना से जुड़े अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से तलब किया है।
मामला मुसाफिरखाना थाना क्षेत्र के अजियाउर देवी-ऊंचगांव से जुड़ा है। जहां पर 24 फरवरी 2018 को खनन को लेकर पुलिस के जरिये अवैध वूसली का मामला सामने आया था। सूचना पाने पर पहुँचे अधिवक्ता व प्रधान प्रतिनिधि राघवेन्द्र द्विवेदी व अन्य ने पहुंचकर पुलिसिया कार्यशैली का विरोध किया था। आरोप के मुताबिक इसी के बाद पुलिस ने अधिवक्ता समेत अन्य के खिलाफ फर्जी केस दर्ज कर उन्हें मुल्जिम बना दिया और अधिवक्ता का अपहरण कर इनकाउंटर की भी योजना तैयार की। इस मामले में पुलिस ने फर्जी मेडिकल तैयार कराकर अधिवक्ता को रिमांड के लिए कोर्ट में भी पेश किया। जिस पर काफी बवाल हुआ और पुनः हुए मेडिकल में पुलिस की कहानी झूठी पायी गयी। मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा। हाईकोर्ट ने मानवाधिकार आयोग को जांच सौंपी। आयोग की जांच में तत्कालीन कोतवाल पारसनाथ सिंह, एसआई दिनेश सिंह, आरक्षी सूर्यप्रकाश, देवेश कुमार, पुष्पराज, ऋषिराज, तत्कालीन थानाध्यक्ष बाजार शुकुल अरविंद तिवारी, क्राइम ब्रांच के एसआई शिवाकांत को प्रथम दृष्टया अधिवक्ता राघवेन्द्र द्विवेदी को पुलिस अभिरक्षा में चोट पहुंचाने सहित अन्य आरोपों में दोषी पाया गया। मामले में तत्कालीन एसपी अमेठी कुंतल किशोर गहलोत की भूमिका भी संदिग्ध रही। हाईकोर्ट ने मामले में संज्ञान लेते हुए मुकदमा दर्ज कर निष्पक्ष तफ्तीश एवं डे-बाई-डे मॉनिटरिंग के लिए एसपी सुलतानपुर को आदेशित किया। हाईकोर्ट ने मानवाधिकार आयोग की जांच रिपोर्ट एवं दाखिल याचिका के बिन्दुओं को विवेचना का अंग बनाने की बात कही थी। मामले में एसपी केके गहलोत सहित अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। प्रकरण की तफ्तीश तत्कालीन सीओ डीपी शुक्ला को मिली। जिसके उपरांत तत्कालीन सीओ नगर श्यामदेव बिंद ने प्रकरण की तफ्तीश की। जिन्होंने मन-मानी विवेचना करते हुए आयोग की जांच रिपोर्ट को दर-किनार कर काफी तथ्यों को छिपा लिया और मन मुताबिक जांच रिपोर्ट तैयार करते हुए आरोपी एसपी को क्लीन चिट दे दी एवं घटना में संलिप्त बुलेरों मालिक को भी आरोपी नहीं बनाया। शेष अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल हुआ। उधर एसआई दिनेश सिंह ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने भी उसकी याचिका पर कोई राहत न देते हुए मामले में तकनीकी आधार पर निष्पक्ष जांच का आदेश देते हुए अर्जी को निस्तारित कर दिया था। अधिवक्ता राघवेन्द्र द्विवेदी ने पुलिस की तफ्तीश पर सवाल उठाते हुए हाईकोर्ट में केन्द्रीय जांच एजेंसी से तफ्तीश कराने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की है। अधिवक्ता राघवेंद्र द्विवेदी के मुताबिक पुलिस ने हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नजरअंदाज करते हुए निष्पक्ष विवेचना नही की। साथ ही एसपी व अन्य आरोपी पुलिस अधिकारियों के बीच हुई मोबाइल वार्ता की काल डिटेल रिपोर्ट,आयोग की जांच रिपोर्ट व उसमे दर्शाये गए गवाहों के बयान समेत अन्य साक्ष्यो को भी विवेचना का अंग न बनाकर विभागीय अधिकारियों को बचाते हुए एसपी केके गहलोत समेत अन्य को क्लीन चिट दे दी एवं शेष पुलिस कर्मियों के विरुद्ध हल्की धाराओं में चार्जशीट दाखिल कर दी गई । हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर संज्ञान लेते हुए नियत पेशी पर सीओ श्यामदेव को तलब किया गया था। सीओ ने हाईकोर्ट में पेश होकर अपनी सफाई पेश की। मिली जानकारी के मुताबिक हाईकोर्ट उनकी बातों से संतुष्ट नहीं नजर आयीं और जांच से जुड़े अधिकारियों व एसपी को 15 अक्टूबर के लिए तलब करने का आदेश दिया। फिलहाल नियत पेशी पर एसपी मौका अर्जी दिलाकर गैर हाजिर रहे। हाईकोर्ट ने मामले में कड़ा रूख अपनाते हुए आगामी चार नवम्बर के लिए विवेचना से जुड़े पुलिस अधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक को व्यक्तिगत रूप से तलब किया है। हाईकोर्ट के इस आदेश से एसपी हिमांशु कुमार व अन्य पुलिस अधिकारियों की मुश्किले बढ़ती नजर आ रही है।