संस्कृति नीति को अंतिम रूप देने से पहले विशेषज्ञों से किया जाए विचार-विमर्श: मुख्यमंत्री
लखनऊ।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज यहां 'उत्तर प्रदेश संस्कृति नीति-2019' के ड्राफ्ट के प्रस्तुतिकरण का अवलोकन करते हुए कहा कि इस नीति को अंतिम रूप देने से पहले संस्कृति के विशेषज्ञों से विचार-विमर्श किया जाए तथा उनके सुझावों को इसमें शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि संस्कृति एक गूढ़ विषय है, यह 'वे आॅफ लाइफ' है। अतः संस्कृति नीति के तहत इसे ठीक से परिभाषित किया जाए और इसकी व्याख्या भी की जाए। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की संस्कृति नीति तथा यदि देश के किसी अन्य राज्य में संस्कृति नीति मौजूद हो तो उसका भी अध्ययन कर लिया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश का इतिहास अत्यन्त समृद्ध है। यहां के विभिन्न जनपदों में ऐतिहासिक स्थल और धरोहरें मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश लोक कलाओं की दृष्टि से भी अत्यन्त समृद्ध है। अतः इस नीति के तहत स्थानीय कलाकारों को प्रोत्साहन देने का कार्य भी किया जाए।
मुख्यमंत्री के समक्ष 'उत्तर प्रदेश संस्कृति नीति-2019' का प्रस्तुतिकरण करते हुए प्रमुख सचिव संस्कृति ने उन्हें इसके उद्देश्य के विषय में अवगत कराया। उन्होंने कहा कि इस नीति का उद्देश्य राज्य की धरोहरों को परिरक्षित एवं संरक्षित करना, प्रदेश के सांस्कृतिक विकास को प्रोत्साहित करना, राज्य के कलाकारों का सशक्तिकरण एवं शोध कार्य को प्रोत्साहन प्रदान करना तथा सांस्कृतिक धरोहरों को विविध माध्यम से प्रोत्साहित करने हेतु निजी उपक्रमों को प्रेरित करना है।
मुख्यमंत्री ने इस नीति के तहत निजी क्षेत्र की सहभागिता सुनिश्चित करने के निर्देश देेते हुए कहा कि यदि कोई उद्यमी कम लागत से कोई प्रोजेक्ट स्थापित करना चाहता है तो इसकी व्यवस्था इस नीति में की जाए।
इस अवसर पर संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डाॅ0 नीलकंठ तिवारी, मुख्य सचिव आरके तिवारी, सचिव मुख्यमंत्री संजय प्रसाद, विशेष सचिव एवं निदेशक संस्कृति शिशिर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
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