सपा उम्मीदवार सुधाकर सिंह का आखिर क्यों हुआ पर्चा खारिज
सिंबल देने वाली अथॉरिटी का हस्ताक्षर न होने के कारण पर्चा किया गया खारिज: चुनाव अधिकारी
मऊ।
उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के घोसी विधानसभा का उपचुनाव होने वाला है। यह उपचुनाव इसलिए हो रहा है क्योकि इस विधानसभा सीट से भाजपा के विधायक रहे फागू चैहान के राज्यपाल बन जाने के बाद से यह सीट खाली हो चुकी थी। जिसको लेकर चुनाव की प्रक्रिया चालू हो गई है। यहां से भाजपा से विजय राजभर, कांग्रेस से राज मंगल यादव बसपा से अब्दुल कयूम प्रत्याशी के रूप में दमखम से लड़ रहे हैं। आपको बता दें कि सपा के उम्मीदवार के रूप में पूर्व विधायक सुधाकर सिंह को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा घोषणा तो किया गया था, लेकिन सुधाकर सिंह का सपा वाला नामांकन खारिज कर दिया गया है।
इस पूरे मामले में घोसी एसडीएम/रिटर्निंग आफिसर विजय कुमार मिश्रा ने बताया कि जो सिंबल का प्रारूप ए और प्रारूप बी होता है। जिसमें प्रारूप ए पर सिंबल देने वाली अथॉरिटी का नाम होता है और प्रारूप बी जिस कैंडिडेट को चुनाव लड़ना होता है उसका नाम होता है और उस प्रारूप बी पर चुनाव लड़ रहे कैंडिडेट के नाम विधानसभा क्षेत्र नाम सहित विवरण भरा हुआ रहता है और इस बी प्रारूप पर सिंबल देने वाली के अथॉरिटी का हस्ताक्षर होता है। ऐसे में प्रारूप बी ही उम्मीदवार की कॉपी मानी जाती है। अर्थात प्रारूप ए पर सिंबल देने वाले का नाम होता है जिसमे सुधाकर सिंह के प्रारूप ए पर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का नाम था। और प्रारूप बी पर सुधाकर सिंह का नाम तो था लेकिन सिंबल देने वाली अथॉरिटी के रूप में जिस जगह पर अखिलेश यादव का हस्ताक्षर होना चाहिए था उसपर अखिलेश यादव का हस्ताक्षर नहीं था। इसलिए इनका सपा सिंबल वाला नामांकन खारिज कर दिया गया है।
वहीं इन्होंने बताया कि सुधाकर सिंह एक सेट फॉर्म निर्दल प्रत्याशी के रूप में जो जमा किया था, वह सही पाया गया है। ऐसे में आपको बता दें कि यह पूरी प्रक्रिया चुनाव की नियमावली के अनुसार किया गया है। क्योंकि प्रारूप बी ही कैंडिडेट की कॉपी मानी जाती है। प्रारूप बी पर सिंबल देने वाले अथॉरिटी का हस्ताक्षर नहीं होने के कारण सुधाकर सिंह का पर्चा सपा सिंबल से खारिज कर दिया गया है। वही इन्होंने बताया कि जो प्रारूप बी की फोटो कॉपी सुधाकर सिंह द्वारा लगाया गया था। उसमे प्रारूप बी की फोटो मान्य नहीं होती है। प्रारूप बी पर वास्तविक हस्ताक्षर वाली कॉपी ही केवल मान्य होती है। इसलिए इनके सपा वाले सिंबल के नामांकन को वैध नहीं माना गया है।
आपको बता दें की नामांकन दाखिल करने के उपरांत से ही सपा के उम्मीदवार के रूप में सुधाकर सिंह ने मीडिया में बार-बार यह बयान देते रहे कि सरकार के दबाव में अधिकारी मेरा नामांकन खारिज कर रहे हैं। जबकि मैंने ईमेल द्वारा जो प्रारूप ठ की कापी प्राप्त हुई है उसकी प्रारूप बी वाली फोटो कापी मैंने जमा कर दिया है। लेकिन अधिकारी मानने को तैयार नहीं है। लेकिन वहीं नियमावली में फोटो कॉपी मान्य नहीं है तो ऐसे में इनका पर्चा कैसे मान्य होगा। यही एक बड़ा प्रश्न बनकर रह गया है। बार-बार सरकार को व अधिकारियों पर आरोप लगाने व कोसने के बजाय यदि समय से नियमावली को पहले से ही सुधाकर सिंह सही ढंग से पढ़ लेते तो शायद आज इनका सपा के उम्मीदवार से नामांकन जो किया था, वह पर्चा खारिज नहीं होता। अब देखना यह होगा कि सपा और भाजपा की लड़ाई जो बनी हुई थी। उस लड़ाई में सपा की उम्मीदवारी तो सुधाकर सिंह की समाप्त हो चुकी है। अब यह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे और निर्दल चुनाव लड़ने में इनको कहां तक सफलता हासिल होती है, यह तो समय ही बताएगा। वहीं सपा का पर्चा खारिज होने के बाद से कार्यकर्ता काफी मायूस है। लेकिन एक तरफ जिज्ञासा भी बनी हुई है कि हम चुनाव तो लड़ेंगे ही और अन्य पार्टियों को शिकस्त देंगे। वही देखना यह होगा कि भाजपा के उम्मीदवार विजय राजभर जो सोशल मीडिया पर काफी तेज गति से चर्चा के विषय बने हुए हैं क्या रणनीति अपनाते हैं कि जीत हासिल करते हैं।