शिव धनुष टूटते ही लगे श्रीराम के जयकारे
भूतहाँ गांव में शुरू हुआ ऐतिहासिक हिन्दू मुस्लिम भाईचारा रामलीला
जौनपुर।
जौनपुर।
बक्शा ब्लॉक के अंतर्गत भूतहाँ गाँव में आदर्श धर्म मण्डल रामलीला समिति के तत्वाधान में सीता स्वयंवर व परसुराम लक्ष्मण सवांद का भावपूर्ण मंचन किया गया। रामलीला का शुभारंभ भाजपा नेता आशीष सिंह ने फीता काटकर एवं राम-सीता मइया जी का आरती उतार कर किया। सीता स्वयंवर में जब राजागण धनुष हिला न सके तो राजा जनक के मन मे बेटी विवाह को लेकर चिंता व्याप्त हो गयी।
हताश होकर उहोंने कहा कि तजहु आस नजी निज गृह जाहू, लिखा न विधि वैदेही वहि बाहु। इस प्रकार उनके हताशा भरे वाक्य को सुनकर जहाँ लक्ष्मण का क्षत्रिय पुरुषार्थ जागृत हो उठा, वहीं पर विश्वामित्र ने राम को संकेत कर जनक का संताप दूर करने को कहा। इस पर रानी जब श्री राम को धनुष शाला की ओर बढते देखती है तो वे राजा से बालक को रोकने का आग्रह करती है। मगर ज्ञानी विदेह राज को विश्वामित्र के निणर्य पर अटल विश्वास था। इसलिए वे चुप रहते हैं। अन्त में राम शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए डोरी खीचते हैं तभी धनुष टूट जाता हैं। धनुष टूटते ही राजा का प्रण पूरा होता है और राम के गले मे सीता वरमाला डालकर वरण करती हैं।
इस दौरान राम के जयकारे से पूरा वातावरण गुंजायमय हो जाता हैं। फिर लक्ष्मण व परशुराम के संवाद देखकर दर्शक रोमांचित हो जाते हैं। राम का अभिनय कुलदीप सिंह, लक्ष्मण विपिन सिंह, सीता हर्षित सिंह, जनक प्रेम प्रकाश सिंह, परशुराम अंकुर सिंह, विश्वामित्र सुशील सिंह, धोधुया राजा मनोज श्रीवास्तव, घसीटू सुनील सिंह, तड़का लकी सिंह ने किया।
इस मौके पर अध्यक्ष सूरज सिंह, उपाध्यक्ष मयंक सिंह, डारेक्टर मनोज श्रीवास्तव, जंगबहादुर सिंह, कोषाध्यक्ष छोटू सिंह, मयंक बाबू, महामंत्री सुनील सिंह बीडीसी, मनोज श्रीवास्तव, सत्यप्रकाश सिंह, बब्बू सिंह, सोनू सिंह, पंकज सिंह, डीके सिंह, सौरभ सिंह, कृष्ण, डब्लू सिंह व आमी हसन आदि उपस्थित रहे।
हताश होकर उहोंने कहा कि तजहु आस नजी निज गृह जाहू, लिखा न विधि वैदेही वहि बाहु। इस प्रकार उनके हताशा भरे वाक्य को सुनकर जहाँ लक्ष्मण का क्षत्रिय पुरुषार्थ जागृत हो उठा, वहीं पर विश्वामित्र ने राम को संकेत कर जनक का संताप दूर करने को कहा। इस पर रानी जब श्री राम को धनुष शाला की ओर बढते देखती है तो वे राजा से बालक को रोकने का आग्रह करती है। मगर ज्ञानी विदेह राज को विश्वामित्र के निणर्य पर अटल विश्वास था। इसलिए वे चुप रहते हैं। अन्त में राम शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए डोरी खीचते हैं तभी धनुष टूट जाता हैं। धनुष टूटते ही राजा का प्रण पूरा होता है और राम के गले मे सीता वरमाला डालकर वरण करती हैं।
इस दौरान राम के जयकारे से पूरा वातावरण गुंजायमय हो जाता हैं। फिर लक्ष्मण व परशुराम के संवाद देखकर दर्शक रोमांचित हो जाते हैं। राम का अभिनय कुलदीप सिंह, लक्ष्मण विपिन सिंह, सीता हर्षित सिंह, जनक प्रेम प्रकाश सिंह, परशुराम अंकुर सिंह, विश्वामित्र सुशील सिंह, धोधुया राजा मनोज श्रीवास्तव, घसीटू सुनील सिंह, तड़का लकी सिंह ने किया।
इस मौके पर अध्यक्ष सूरज सिंह, उपाध्यक्ष मयंक सिंह, डारेक्टर मनोज श्रीवास्तव, जंगबहादुर सिंह, कोषाध्यक्ष छोटू सिंह, मयंक बाबू, महामंत्री सुनील सिंह बीडीसी, मनोज श्रीवास्तव, सत्यप्रकाश सिंह, बब्बू सिंह, सोनू सिंह, पंकज सिंह, डीके सिंह, सौरभ सिंह, कृष्ण, डब्लू सिंह व आमी हसन आदि उपस्थित रहे।