विवाद से परे है ईश्वर का अस्तित्व
लिंग भेद से संबंधित हारमोनों में गड़बड़ी पड़ जाए तो नारी की मूंछें निकल सकती हैं। पुरुष बिना मूंछ का हो सकता है तथा दोनों की प्रवृत्तियां भिन्न लिंग जैसी हो सकती हैं। नारी पुरुष की तरह कठोर व्यवहार करने वाली और नर जनखों जैसे स्त्री स्वभाव का हो सकता है। यौन-आकांक्षाएं भी विपरीत वर्ग जैसी हो सकती हैं। इतना ही नहीं, कई बार तो इन हारमोनों का उत्पात ऐसा हो सकता है कि प्रजनन अंगों की बनावट ही बदल जाए। ऐसे अनेक आपरेशनों के समाचार समय-समय पर सुनने को मिलते रहते हैं, जिनमें नर से नारी की और नारी से नर की जननेंद्रियों का विकास हुआ और फिर शल्य-क्रिया द्वारा उसे तब तक के जीवन की अपेक्षा भिन्न लिंग का घोषित किया गया। इस नई परिस्थिति के अनुसार उन्होंने साथी ढूंढे, विवाह किए और गृहस्थ बनाए। हिप्पोक्रेट्स ने इस तरह की विपरीत वर्गीय कुछ घटनाएं देखी थीं और उनका कारण समझने का प्रयत्न किया था। चिकित्सक प्लिनी ने एक ऐसे सात वर्ष के लड़के का वर्णन लिखा है, जो लैंगिक दृष्टि से पूर्ण विकसित हो गया था। 8 जनवरी सन् 1910 को दो चीनी बच्चों ने सामान्य बालकों को जन्म दिया। जिसमें माता की उम्र 8 वर्ष और पिता की 9 वर्ष की थी। संसार में यह सबसे छोटे माता-पिता हैं। अमोय फूकेन प्रांत का यह कृषक परिवार 'साद' नाम से पुकारा जाता है। इस परिवार में ऐसे ही बाल प्रजनन के और भी उदाहरण हैं। कलावार (अफ्रीका) में भी कुछ समय पूर्व ऐसी ही घटना घटित हुई थी। वहां एक्क्री नामक एक नीग्रो की आठ वर्षीय पत्नी ने आठ वर्ष चार मास की आयु में ही प्रसव किया और एक बालिका को जन्म दिया, आश्चर्य यह और देखिए कि वह बच्ची भी अपनी मां की तरह आठ वर्ष की आयु में ही मां बन गई। इस प्रकार उमजी को 17 वर्ष की आयु तक पहुंचते-पहुंचते दादी बनने का अवसर प्राप्त हो गया। सूडान में सन् 1980 में एक नौ वर्ष की लड़की मां बनी है, उसका पति 10 वर्ष का है। यह समाचार सन् 1980 में प्रायः सभी समाचार पत्रों में छपा था। जौरा आगा नामक टर्की के एक दीर्घजीवी वृद्ध पुरुष की आयु सन् 1927 में 153 वर्ष की थी। उस समय उसने अपना ग्यारहवां विवाह किया था। उससे पूर्व 10 स्त्रियों और 27 बच्चों को वह अपने हाथों कब्र में सुला चुका था। उसके जीवित बच्चे 70 से ऊपर थे।